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अक्षरा

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मधुकर मधु माधव की बानी..

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काज किए बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो। कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो। बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो। को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।

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हनुमान सहस्त्रनाम महामंत्रार्णव मे समाहित है । इस स्तोत्र के रचयिता स्वयं रामजी है । ।। श्रीराम जय राम जय जय राम।। ।। हनुमते नमः ।।

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ब्रह्मा (१), विधाता (विश्वकर्मा) (२), विष्णु (३), यम (४), चन्द्र (५), कार्त्तिकेय (६), इन्द्र (७), वसु (८), सर्प (९), धर्म (१०), शिव (११), सूर्य (१२), कामदेव (१३), कलि (१४)- क्रम से प्रतिपदा आदि तिथियों के स्वामी कहे गए हैं। तथा अमावस्या के स्वामी पितर हैं।


प्रारब्ध तो अवश्यम्भावी है, इस कथन को यदि स्वीकार कर लिया जाए तो सभी साधन निष्फल और सभी उपाय व्यर्थ हो जाएंगे, सभी वेद-शास्त्र अर्थवाद के रूप में परिणित हो जाएंगे, सभी क्रियाएँ निरर्थक हो जाएंगी और स्वर्ग प्राप्ति के लिए तप तथा वर्ण-धर्म सब व्यर्थ हो जाएंगे। -श्रीमद्देवीभागवत


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कार्तिक पूर्णिमा तुलसी जी के प्राकट्य की तिथि है । वृन्दा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नन्दिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी—ये देवी तुलसीके आठ नाम हैं। ।। बोलो तुलसी मैय्या की जय ! ।।

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तमस् रजस् के बिना प्रवृत्त नहीं होता और सत्त्व गुण सर्वथा निर्विकार है। इसलिए सत्त्वगुण मानसिक आरोग्य देने में कारण है। -अष्टाङ्गहृदयम्


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ऐसे में भारतीय भाषाओं से अलग अन्य भाषाओं को क्यों लेना, इस पर लेखकों को विचार करना चाहिए। ऐसे अनुवाद वैदिक वाङ्मय के मूल भाव को ही नष्ट नहीं करते अपितु ऐसा करते हुए भारतीय संस्कृति पर भी गहरा आघात करते हैं।


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भाषा विचारों को व्यक्त करने का माध्यम भर नहीं है अपितु यह उस समय की सामाजिक तथा मानसिक दशा को भी प्रस्तुत करती हैं। जैसे ‘भिंडी’ के लिए ‘लेडी फिंगर’ शब्द किस मानसिक दशा में लिया गया होगा अथवा ‘मूत्र’ के लिए ‘पेशाब’ (सामने का पानी) शब्द नियत करने वाला कैसी जंगली दशा में होगा।


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भगवान द्वादशी तिथि को शयन से उठे, त्रयोदशी को देवताओं से मिले और चतुर्दशी को सबने उनका दर्शन एवं पूजन किया। इसलिए इन सभी तिथियों में भगवान की पूजा करनी चाहिए। कार्तिकमास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तीन तिथियाँ कल्याण करने वाली मानी गई हैं, इनकी 'अति पुष्करिणी' संज्ञा है।

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नमस्ते जायमानायै जाताया उत ते नमः। बालेभ्यः शफेभ्यो रूपायाघ्न्ये ते नमः॥  - अथर्ववेद १०.१०.१ हे अवध्य गौ! तुझ जन्म लेती हुई को एवं उत्पन्न होती हुई को प्रणाम है। तेरे बालों के लिए, खुरों के लिए तथा तेरे स्वरूप के लिए तुझे प्रणाम है। #गोपाष्टमी की शुभकामनाएँ !! 💐💐

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विद्याविनयसंपन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि। शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः॥ - श्रीमद्भगवद्गीता ५.१८ (जिनके आत्माका अज्ञान ज्ञानद्वारा नष्ट हो चुका है वे) ज्ञानीजन विद्या और विनय से सम्पन्न ब्राह्मण, गाय,  हाथी,  श्वान और चाण्डाल में भी परमात्मा को ही देखते हैं।

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नंदबाबा! जो आपके इस साँवले शिशु से प्रेम करते हैं, वे बड़े भाग्यवान हैं।

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भाईदूज - यमद्वितीया की शुभकामनाएँ ! 💐

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"योग के आनन्द के कारण विभु का ताण्डव होता है।" -लिङ्गमहापुराण

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This is just the beginning. We have to reach the target of repeating Ayodhya in KASHI and MATHURA : CM Yogi Adityanath in Ayodhya


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अलौकिक अयोध्या! मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के अपने भव्य मंदिर में विराजने के बाद यह पहली दीपावली है। अयोध्या में श्री राम लला के मंदिर की यह अनुपम छटा हर किसी को अभिभूत करने वाली है। 500 वर्षों के पश्चात यह पावन घड़ी रामभक्तों के अनगिनत बलिदान और अनवरत त्याग-तपस्या के बाद…

दीपमालिका पर्व की पूर्व संध्या पर अलौकिक आभा से दैदीप्यमान श्री राम जन्मभूमि मंदिर On the eve of the festival of Deepawali, the Shri Ram Janmabhoomi Mandir shines with a divine glow

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