#संतरामपालजीके_संघर्ष_कीकहानी तत्वज्ञान द्वारा जन कल्याण की निःस्वार्थ भावना ने संत रामपाल जी महाराज को विश्व प्रसिद्धि प्रदान की। उनके शुरुआती संघर्ष भरे जीवन की अनसुनी दास्तां को जानने के लिए देखिए जानने के लिए देखिये SA News YouTube Channel
#संतरामपालजीके_संघर्ष_कीकहानी सारी दुनिया में बज रहा है जिसके ज्ञान का डंका! जानिए उस महान संत का संघर्ष देखें SA News YouTube Channel
#संतरामपालजीके_संघर्ष_कीकहानी अल्लाह के नाम पर कुर्बानी अपनी करनी चाहिए। बकरे, गाय या मुर्गे की नहीं। वास्तव में कुर्बानी प्रभु चरणों में समर्पण तथा सत्य भक्ति होती है। शीश काट देने तथा शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने से मुक्ति नहीं होती। देखें SA News YouTube Channel
#संतरामपालजीके_संघर्ष_कीकहानी मोक्ष व सुखदायक सतभक्ति को जन-जन तक पहुंचाने के लिए संत रामपाल जी महाराज द्वारा किया गया अद्वितीय संघर्ष। जानने के लिए देखिये SA News YouTube Channel
#संतरामपालजीके_संघर्ष_कीकहानी संत रामपाल जी महाराज, जेई से कैसे बने एक विश्व प्रसिद्ध तत्वदर्शी संत, जिनके ज्ञान का लोहा आज पूरी दुनिया मानती है? देखिये अनसुनी कहानी संत रामपाल जी के छोटे बेटे की जुबानी जानने के लिए देखिये SA News YouTube Channel
#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता अ०7 श्लोक 24-25 में ज्ञानदाता ने कहा ये मूढ़ लोग नहीं जानते कि मैं कभी मनुष्य रूप में प्रकट नहीं होता और अपनी योगमाया से छुपा रहता हूं। श्री कृष्ण ऐसा कभी नहीं कह सकते क्योंकि वह साक्षात् थे। गीता का ज्ञान कृष्ण में प्रेतवत् प्रवेश कर काल ब्रह्म ने दिया।
#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता अ० 4 श्लोक 9 में "मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं" का अर्थ है कि काल ब्रह्म दूसरों के शरीर में प्रवेश कर कार्य करता है। जैसे श्रीकृष्ण ने शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा की, लेकिन काल ब्रह्म ने रथ का पहिया उठाकर सैनिकों को मारा, जिससे पाप श्रीकृष्ण के नाम कर दिए।
#गूढ़_रहस्य_गीता_का जब काल ब्रह्म श्रीकृष्ण के शरीर से बाहर आकर विराट रूप में प्रकट हुआ, तो वह अत्यंत प्रकाशमान था। अर्जुन भयभीत हुआ, श्रीकृष्ण उस प्रकाश में ओझल हो गए, तब अर्जुन ने पूछा, आप कौन हैं? इससे सिद्ध होता है कि गीता का ज्ञान काल ब्रह्म ने कृष्ण में प्रवेश कर दिया था।
#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञानदाता ने क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्मों में "युद्ध से न भागना" बताया है। श्रीकृष्ण स्वयं क्षत्रिय होते हुए कालयवन से युद्ध से भागे थे, अतः यह ज्ञान उनके द्वारा नहीं कहा गया। Sant Rampal Ji Explains Gita
#गूढ़_रहस्य_गीता_का पवित्र गीता का ज्ञान काल (ब्रह्म-ज्योति निरंजन) ने दिया, न कि श्री कृष्ण जी। श्री कृष्ण ने कभी यह नहीं कहा कि वह काल हैं। श्री कृष्ण जी काल नहीं हो सकते, क्योंकि उनके दर्शन मात्र से दूर-दूर के स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी तक तड़पते थे और उन्हें प्रेम करते थे।
#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता अ०7 श्लोक 24-25 में ज्ञानदाता ने कहा ये मूढ़ लोग नहीं जानते कि मैं कभी मनुष्य रूप में प्रकट नहीं होता और अपनी योगमाया से छुपा रहता हूं। श्री कृष्ण ऐसा कभी नहीं कह सकते क्योंकि वह साक्षात् थे। गीता का ज्ञान कृष्ण में प्रेतवत् प्रवेश कर काल ब्रह्म ने दिया।
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#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता अ० 4 श्लोक 9 में "मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं" का अर्थ है कि काल ब्रह्म दूसरों के शरीर में प्रवेश कर कार्य करता है। जैसे श्रीकृष्ण ने शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा की, लेकिन काल ब्रह्म ने रथ का पहिया उठाकर सैनिकों को मारा, जिससे पाप श्रीकृष्ण के नाम कर दिए।
#गूढ़_रहस्य_गीता_का गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञानदाता ने क्षत्रिय के स्वाभाविक कर्मों में "युद्ध से न भागना" बताया है। श्रीकृष्ण स्वयं क्षत्रिय होते हुए कालयवन से युद्ध से भागे थे, अतः यह ज्ञान उनके द्वारा नहीं कहा गया। Sant Rampal Ji Explains Gita
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