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भगवान किसी को डिप्रेशन ना दे..! सुकून छीन जाता है, नींद उड़ जाती है, भूख और प्यास मर जाती है, रोते हैं पर आंसू नहीं आते है, लोगों के बीच होकर भी तन्हाई महसूस होती है, बाहर से सामान्य और भीतर से बिल्कुल खोखलापन जैसा लगता है, चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए भीतर से रोते फिरते है।


मैं आजतक किसी स्त्री का पसंदीदा मर्द नहीं बन पाया, हालांकि मेरे जीवन में जो भी स्त्री आई मैने उसे बदले में इतना ज्यादा प्यार, इज्जत, समय और प्राथमिकता दे दिया जितने के वो लायक भी नहीं थी। शायद...! इसलिए मुझे रिश्ते में हमेशा छला गया,नगण्य समझा गया और धोखा ही मिला। खैर...


सबको मेरी तरफ से दीपावाली की हार्दिक शुभकामनाएं। जीवन में खूब सफलता हासिल कर अपने और अपने परिवार का नाम उज्ज्वलित करें।🪔🎇


जीवन के उस पड़ाव पर हूं जहां जीवन में कुछ भी ठीक नही चल रहा है। सब कुछ एकदम उथल-पुथल सा हो गया है। लाख कोशिशें करने के बावजूद भी सब कुछ वैसा का वैसा ही है। क्या करूं क्या ना करूं कुछ समझ ही नहीं आ रहा है। कभी कभी तो ऐसा महसूस होता है कि दिमाग की नसे अब ना कब फट ही जाएगी।


तुमने मुझे कभी भी जरूरी नहीं बल्कि मात्र एक विकल्प ही समझा है।


बंद कमरे में, सुबह से बिस्तर पर पड़े रहना। खाने पीने से कोई वास्ता नहीं। वास्ता क्या.. भूख ही नही लगती है। किसी से कोई बात नहीं।किसी को अगर कुछ बताओ भी तो मजाक के पात्र बन जाता हूं इसलिए अब मौन रहना पसंद करता हूं। अब ज़िन्दगी ही रास नहीं आ रही है। खैर...


मैं एक बार कोशिश किया था,पूरे सच्चे दिल से रिश्ता निभाने की और मैंने निभाने के लिए अपना हर सफल प्रयास भी किया था लेकिन अफसोस मैं असफल रहा।लोगो के अंदर ना जाने कैसे पचहत्तर लोगों से बात करने और उन्हें चू£या बनाने का हुनर आ जाता है।मजे की बात तो ये है कि सबको इकट्ठे संभाला जाता है।


दिन-रात फोन चलाने में, रील्स स्क्रॉल करने में या फिर अपनी पसंदीदा स्त्री को खुश करने में समय मत गवाओ मेरे दोस्त..! ये वक्त बीत जाने के बाद पछताने के अलावा कुछ भी शेष नहीं रह जाएगा इसलिए अभी भी वक्त है संभालो खुद को और ये सब मिथायात्मक चीजों से बाहर निकलो।


लोगो में,अब मेरी रुचि नगण्य हो गई है।अकेला रहना सीख चुका या फिर अकेलेपन का आदि हो चुका हूं।अपने राज किसी के आगे नही खोलता हूं। अगर किसी से मिलता भी हूं तो चेहरे पर जरा सी भी शिकन झलकने नही देता हूं। लोग बोलते है कि तुम हेमशा इतना खुश कैसे रह लेते हो। अब उन्हें कौन समझाए ? खैर...


रुको और ठहर जाओ..! झूठे और फरेब की इस दुनिया में अगर तुम सच्चे इंसान बनकर पूरे शिद्दत से रिश्ता निभाने चले हो तो कान खोल कर सुन लो और समझ लो कि तुम्हारे सच्चेपन की रत्ती भर भी कद्र नही होगी तो बेहतर यही होगा कि जो लोग जैसे हैं उनके साथ वैसे ही पेश आओ।


लोग आएं, ज्ञान दिए और चले गए..! ये करो, ऐसे करो, ऐसे नही ऐसे करो लेकिन आज तक किसी ने ये नही कहा कि तू कर मैं तेरे साथ हूं। खैर...


एक वक्त था जब मुझे अकेला रहना बेहद पसंद था लेकिन अब इतना अकेला हो चुका हूं कि किसी से बात नही करता हूं।इतना अवसादित हो चुका हूं कि क्या ही बताऊं।अपने अंदर बहुत कुछ दबाए बैठा हूं। कभी कभी लगता है कि काश..! कोई होता जिसको सारी बातें बता पाता लेकिन ऐसा इंसान कोई है ही नहीं..! खैर...


जीवन में बिल्कुल अकेला हो गया हूं। कभी कभी बहुत मन होता है किसी से बात करने का लेकिन फिर महसूस होता हैं कि अपने पास तो वैसा कोई है ही नहीं जिससे खुलकर बातें कर सकूं, अपनी सारी बातें बता सकूं और वो मुझे आंकने के जगह मुझे समझने की कोशिश करे लेकिन ऐसे लोग मिलते ही कहां है..! खैर...


जब भी मुझे तुम्हारी जरूरत पड़ी तब तुमने अपनी व्यस्तता का रोना रोकर मेरा साथ छोड़ा यह जानते हुए भी कि मैं परेशान हूं। तुम्हारा ये अकेले छोड़ जाना मुझे भीतर से खोखला करता चला गया। तुमने तो ढूंढ लिया अपना नया ठिकाना लेकिन मैं अभी भी उसी दलदल में बिलबिला रहा हूं। खैर...


हां ..! डरता हूं मैं लोगों पर भरोसा करने से या फिर कोई मिला ही नहीं। सच कहूं तो मैं बहुत ही ज्यादा उलझा हुआ हूं और शायद इतना ज्यादा कि इस उलझन का कोई एक सिरा भी नहीं ढूंढ पा रहा हूं जिसके सहारे सुलझाने की कोशिश भी कर सकूं। दिन प्रतिदिन उन्हीं में और भी ज्यादा उलझता जा रहा हूं।


जीवन कितना अकेला हो गया हूं शायद ये बात मैं बता भी नही सकूंगा लेकिन जब फोन बजता है तो एक अलग ही खुशी की अनुभूति प्रदान होती है और मन ही मन में कुछ पल के लिए अच्छा लगता है कि चलो... किसी ने याद तो किया लेकिन फिर देखता हूं तो कस्टमर केयर का कॉल रहता है।


श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं..!✨

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शायद,रिश्ते संभालने नही आते मुझे..! एक के बाद एक सारे रिश्ते पीछे छूट गए।जिससे भी सच्चे मन से रिश्ता जोड़ता हूं,अंत से सब कुछ बिखर सा जाता है हालांकि रिश्ते में कोई छल-कपट की भावना भी नही रखता हूं फिर भी ना जाने क्यो ऐसा होता है।अब परिस्थिति ऐसे है कि मैं बिलकुल अकेला हो गया हूं।


आज तक का कीर्तिमान रहा है, मैं अपने जीवन में जिसे भी हद से ज्यादा अहमियत दिया हूं बदले में उसने मुझे नजरंदाज किया, झूठ बोला, धोखा दिया, छला, क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया और हमेशा नश्वर ही समझा है इसलिए आज से मैं ये प्रण लेता हूं कि अब किसी को भी परिसीमा में ही रहकर अहमियत दूंगा।


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