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अंशिका त्रिपाठी

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अपनी लिपि स्वयं हूँ🍁

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हर दिन के लिये तैयार रहो हर दिन को एक ताराही में लो जब ओखली हो तो सहन करो जब तस्ता हो तो वार करो।


अंशिका त्रिपाठी Reposted

हमारी यमुना माँ आज ventilator पर है..


लिखना एक अच्छा मनुष्य होना है। एक अच्छा मनुष्य कभी भी कट्टर नहीं हो सकता। फूल झड़ जाता है, लेकिन फिर भी उगाया जाता है। प्रेम करना नहीं छोड़ना चाहिए. स्थितियां चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों। विनोद कुमार शुक्ल 🌻

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हँसो हँसो जल्दी हँसो / रघुवीर सहाय (पूरी कविता...) हँसो तुम पर निगाह रखी जा रही है हँसो अपने पर न हँसना क्योंकि उसकी कड़वाहट पकड़ ली जाएगी और तुम मारे जाओगे ऐसे हँसो कि बहुत ख़ुश न मालूम हो वरना शक होगा कि यह शख़्स शर्म में शामिल नहीं और मारे जाओगे हँसते-हँसते किसी को…

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सब कुछ होना बचा रहेगा 🌻

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" राजनीति ही मनुष्यों के लिए सब कुछ नहीं है। राजनीति के पीछे नीति से भी हाथ न धो बैठो, जिसका विश्व मानव के साथ व्यापक संबंध है। जयशंकर प्रसाद 🌻


" राजनीति का प्रतिशोध क्या एक नारी को कुचले बिना नहीं हो सकता " जयशंकर प्रसाद ।


बेटा कभी त्यागा नहीं जाता बेटियां त्याग दी जाती हैं हमारे समाज में। आज भी घर के भीतर से लेकर संसद तक आपका अधिकार उनके देने से आपको मिलेगा मांगने से नहीं। जैसे ही आपने अपना अधिकार मांगा आपको बायकॉट कर दिया जायेगा।


मुझे हमेशा कविता अन्य विधाओं से कठिन लगती थी या यूं कहूं तो अभी भी लगती है । मैंने कहीं पढ़ा था कि कविता आपके पास तब तक नहीं आएगी जब तक आप खुद उसके पास नहीं जायेंगे। कविता की तरफ लौटना जीवन को भरपूर जीने की तरफ लौटना है क्योंकि कविता ठहरकर सोचने के लिए विवश करती है। 🌻

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पत्नी का रिश्ता फूल को तोड़कर अपने पास रख लेने का था। पेड़ में खिले फूल-जैसा रिश्ता कहीं नहीं दिखता था। विनोद कुमार शुक्ल 🌻


🌻

To shift your life to a higher level, change your frequency. Thoughts, words, and deeds of goodness all lift your frequency higher.



अंशिका त्रिपाठी Reposted

Budget from women aspect #Budget2024


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