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Sunil Amar

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Male, Single, Writer, Poet, Journalist & Social Activist

Joined November 2010
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परमात्मा वहीं नहीं है जहाँ तुम पूजा करते हो। परमात्मा वहाँ भी है जहाँ तुम गुनाह करते हो। (OSHO)


*अमर ज्ञान* किसी देश के नागरिक अगर पढ़ाई-लिखाई से वंचित और दरिद्र हो जाँय तो उस देश में अन्यायी शासक के खिलाफ विद्रोह होना काफी मुश्किल हो जाता है। बहुत सारे देशों के शासक अपने नागरिकों को मूर्ख और दरिद्र बनाने के प्रयासों में ही लगे रहते हैं।


आजाद भारत में पहली बार ऐसा विदेश मन्त्री मिला है जिसे अपने लिए देश के भीतर ही रोज काम तलाशना पड़ता है!विदेश,उसके लिए भी विदेश ही बना हुआ है!


अपने स्वार्थों के लिए मोदी सरकार सेना का राजनीतिकरण कर रही है,धर्म का उन्माद फैला रही है। भारत भी पाकिस्तान बनने की राह पर चल पड़ा है।


'कैसे मन्जर सामने आने लगे हैं,गाते—गाते लोग चिल्लाने लगे हैंं, अब तो इस तालाब का पानी बदल दो,ये कमल के फूल कुम्हलाने लगे हैं!'


The 2014 Lok Sabha Election is expected to be one of the most keenly contested in the recent history.


'' वो नफरतों के सवाल करके, मुहब्बतों के जवाब मांगे / वो मेरे हिस्से में लिख के कांटे, मुझी से ताज़ा गुलाब मांगे !''


देश में किसानों की हालत दयनीय होती जा रही है. आज राष्ट्रीय सहारा के सम्पादकीय पृष्ठ पर मेरा आलेख पढ़ें.


देश का वह कौन सा पैसेवाला है जिसका पैसा विदेशों में जमा नहीं है? ऐसे में कौन कानून बनायेगा, कौन क्रियान्वयन करेगा और क्यों?


visfot.com - पेट भरें या पर्यावरण बचाएं किसान? http://bit.ly/joU4rO


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ईश्वर और धर्म , ये पुरुष शिकारी के हथियार हैं , और अपने हथियार को भला अपने शिकार से साझा कौन करना चाहेगा


.......स्त्रियों को अपना ईश्वर और धर्म खुद गढ़ना चाहिए .पुरुषों का ईश्वर और धर्म ,पुरुषों का ही भला करेगा .


. ईश्वर और घर्म दोनों मर्दों के सृजन हैं. इसीलिए मर्द अपने धर्म के खेल में औरत को शामिल नहीं करता है


रात भर सोचता रहा तुझको...ज़हन ओ दिल मेरे रात भर महके..


भयादोहन करती विज्ञापनों की भाषा -- सुनील अमर टी.वी.चैनलों पर इन दिनों एक विज्ञापन आता है, ......see more on nayamorcha.blogspot.com


'' भारत सरकार दे जुलियन असान्जे को राजनीतिक शरण, और साबित करे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को .'' -- सुनील अमर


'' ईश्वर , और कुछ नहीं सिर्फ़ एक व्यवस्था है.'' --- सुनील अमर


पैसे के खेल से जो पत्रकारिता चलेगी, वो पैसे का ही खेल करेगी --- सुनील अमर http://is.gd/ivqGE #nayamorcha


''शर्म हमको मगर नहीं आती '' -- सुनील अमर http://is.gd/hGEDx #nayamorcha


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