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Atul Kumar Rai

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Novelist | Screenwriter | Lyricist | B.Mus. & MPA ( Music ) BHU | Yuva Sahitya Akademi Award winner for debut Hindi Novel Chandpur ki Chanda |

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आज शिव ने त्रिपुर नामक असुर का संहार किया था। इस दिन कुछ श्रद्धालु दीप जलाकर लौट जाते थे। फिर इंदौर की रानी अहिल्या बाई ने पंचगंगा घाट पर हजारा दीप स्तम्भ बनवाया। तब एक हजार दीप जले। धीरे-धीरे उस ज्योति ने ऐसी महान परम्परा का जन्म लिया कि आज काशी में गोड़ रखे के जगह ना होई गुरु।

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एक तरफ़ सरकार बाल दिवस की शुभकामनाएं दे रही हैं। दूसरी तरफ बच्चे धरने पर बैठे हैं। ऐसी कौन सी समस्या है जो संवाद से नहीं सुलझाई जा सकती। माननीय योगी जी,आपके दो उपमुख्यमंत्री किस काम के लिए हैं। क्या इनको छात्रों से क्या संवाद नहीं करना चाहिए ? #uppcs_no_normalisation


सभी बुर्जुग लोगों का बालपन बचा रहे 😊 बाल दिवस की शुभकामनाएं। ❤️

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आज प्रयागराज में विद्यार्थी सड़क पर हैं। कल यही विद्यार्थी पटना की सड़क पर होंगे। परसो जयपुर में होंगे और किसी दिन शिमला, कलकत्ता और राँची में भी। छात्रों के धरना देने की प्रकिया अब हमारे दौर का न्यू नॉर्मल है। इस देश में कोई एक ऐसा राज्य नही, कोई एक ऐसी भर्ती नहीं, जो बिना…

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इस देश में कोई एक भर्ती है जो बिना किसी बवाल, कोर्ट-कचहरी और धरना के बिना पूरी हो गई हो ?


Atul Kumar Rai Reposted

महत्वपूर्ण पोस्ट। अवश्य पढ़ें। बहुत बढ़िए लिखे @AuthorAtul 👏👏

लोकगायक बालेश्वर अपने इंटरव्यू में स्वीकार कर रहे हैं कि वो जातिवाद के विरोधी हैं। बालेश्वर मंडल से लेकर कमंडल, रामविलास पासवान, कांशीराम से लेकर शरद यादव सबके विरोध में गीत गा रहे हैं। लेकिन आज कुछ बेरोजगार पत्रकारों और सोशल मिडिया के क्रांति कुमारों ने उनकी जाति खोज निकाली…

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मतलब जो लिखा है उस पर बात नही करेंगे..मुझे जातिवादी कहकर निकल लेंगे। आपने तो मेरा उपन्यास पढ़ा है न श्रवण जी ? आप बताइये मुख्य नायक और नायिका यादव बिरादरी से आते है..उनके अलावा दो दर्जन पात्र हैं, सबकी अपनी कहानी है.तमाम उपकथानक हैं, कोई एक पात्र बताइये जिसके टाइटल में राय…

यह बात लिखने वाले अतुल जातिवादी नहीं है? एक ही पक्ष पर क्यों लिख रहे हैं क्या दूसरा पक्ष जातिवादी नहीं है? और राधा श्रीवास्तव के गायन शैली पर सवाल हो रहा है जिसे वो अपना बताती है।



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महत्वपूर्ण टिप्पणी

लोकगायक बालेश्वर अपने इंटरव्यू में स्वीकार कर रहे हैं कि वो जातिवाद के विरोधी हैं। बालेश्वर मंडल से लेकर कमंडल, रामविलास पासवान, कांशीराम से लेकर शरद यादव सबके विरोध में गीत गा रहे हैं। लेकिन आज कुछ बेरोजगार पत्रकारों और सोशल मिडिया के क्रांति कुमारों ने उनकी जाति खोज निकाली…

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लोकगायक बालेश्वर अपने इंटरव्यू में स्वीकार कर रहे हैं कि वो जातिवाद के विरोधी हैं। बालेश्वर मंडल से लेकर कमंडल, रामविलास पासवान, कांशीराम से लेकर शरद यादव सबके विरोध में गीत गा रहे हैं। लेकिन आज कुछ बेरोजगार पत्रकारों और सोशल मिडिया के क्रांति कुमारों ने उनकी जाति खोज निकाली…

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साहित्य आज तक ने ऊर्फ़ी जावेद को बुला लिया है तो फिर डॉली चाय वाले की तपस्या में कौन सी कमी रह गई है ? अब तो भाई का दुबई में ऑफ़िस भी है। आज तक से निवेदन है कि डॉली भाई को बुलाए और युवाओं में चाय चेतना टाइप विषय पर बोलने के लिए आमंत्रित करे।


हमारे समय की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि आदमी जब चांद और मंगल पर जीवन खोज रहा है तब, तब आज भी नाले की सफ़ाई करने वाले, नाले में उतरकर सफाई करते हैं और कई बार नाले की जहरीली गैस से मर जाते हैं। जब देश बुलेट ट्रेन की तैयारी कर रहा, तब आज भी बरौनी जंक्शन में डब्बो को इंजन से…


कोई हर महीने पैसे बांट रहा, कोई बिजली बांट रहा, किसी ने बस फ्री किया हुआ है। लेकिन नौजवानों के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं में शुचिता और स्पष्टता न महाराष्ट्र के चुनाव में मुद्दा है, न ही झारखंड में। बस इसी से स्पष्ट हो जाता है कि हमारा सिस्टम युवाओं को लेकर कितना गम्भीर है।


बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे। कल रस्ते में इनको देखा तो निदा फ़ाज़ली साहब याद आ गए। ❤️

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जबसे बलिया-बनारस छूट गया। मुम्बई रहने लगा। तबसे त्यौहार पर घर न जाने का दुःख काटता ही रहता है। इस बार सोचा जुहू चौपाटी चलते हैं। बगल में ही तो है। घर से निलकते ही देखा पूरी सड़क लोगों से पट चुकी है। रस्ता जाम है। न ढंग से ऑटो जा रहा, न बस। सब पैदल ही चले जा रहें हैं। रस्ते में…


आज घर न जाने वालों से पूछिए कड़ाही से निकलते ठेकुआ की सुगंध। गाय के गोबर से लीपे आंगन की महक। हमें ही पता है कि सेव, केला, संतरा, मूली,शरीफा और नारियल हमें छठ में ही सबसे सुंदर क्यों लगतें हैं। लेकिन का करेंगे। घर में ठीक से छठ हो इसलिए भी कभी-कभी घर से दूर रहना पड़ता है।…

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आज दैनिक हिंदुस्तान के बलिया संस्करण में...!

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लोकतंत्र खतरे में है, फांसीवाद आ रहा है टाइप जुमले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्लॉप हो चुके हैं। वक्त है कि इनको बदलकर विपक्षी पार्टियां रचनात्मक राजनीति पर ध्यान दें। लोकतंत्र की भलाई इसी में है।


कमला हैरिस तीन सौ यूनिट फ़्री बिजली और विश्वस्तरीय मोहल्ला क्लिनिक जैसी सुविधा देने का वादा करती तो चुनाव जीत जातीं, लेकिन न ही उनके पास सौरभ भारद्वाज जैसा Evm इंजीनियर था,न ही केजरीवाल जी जैसी दूर दृष्टि। इन राष्ट्रवादी ताकतों ने फिर एक अबला को हरा दिया। #congratulationtrump


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आज के अखबार में आपका ट्वीट @AuthorAtul भईया जी

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आपका भी आभार भाई ❤️

इंतजार रहेगा, 'चांदपुर की चंदा' पढ़ कर अभी खत्म किया हूं। क्या गज़ब का उपन्यास है धन्यवाद ❣️



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